1 लाख रुपए से ज्यादा के काम में टेंडर जरूरी...
पीडब्ल्यूडी में 855 करोड़ रुपए के काम नॉन एग्रीमेंट यानी बिना टेंडर के करा दिए गए। इनमें अकेले रायपुर डिवीजन-3 में 650 करोड़ रुपए के काम हुए हैं। यहां सिर्फ 64 वाउचर में ही 648.3 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है। यानी प्रत्येक वाउचर से 10 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ। इसी तरह बिलासपुर में पीडब्ल्यूडी, सेतु विभाग में कुल 21.92 करोड़ रुपए के काम हुए हैं।
नियमानुसार 1 लाख रुपए से ज्यादा के काम के लिए टेंडर जरूरी है। आपात स्थिति में ही बिना टेंडर के काम कराए जाते हैं। इसे नॉन एग्रीमेंट कहा जाता है। हालांकि ऐसे काम ज्यादा नहीं होने चाहिए। इसके उलट पीडब्ल्यूडी ने सालभर में करोड़ों के नॉन एग्रीमेंट के काम कराए। धमतरी व ईएंडएम डिवीजन रायपुर में 10-10 करोड़ से अधिक के काम कराए गए।
सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की आशंका इसी में
नॉन एग्रीमेंट के कार्यों में भ्रष्टाचार की आशंका रहती है, क्योंकि इसमें पक्के दस्तावेज और टेंडर की पूरी प्रक्रिया नहीं होती। ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही सिर्फ आपात स्थिति में ही नॉन एग्रीमेंट के काम की मंजूरी होती है।
बिलासपुर में कुछ साल पहले 19.93 करोड़ रुपए के नॉन एग्रीमेंट के मामले में पूर्व कार्यपालन अभियंता केआर गंगेश्री को सस्पेंड कर दिया गया था।
फोटोकॉपी जैसे कामों पर 42 करोड़ खर्च
पीडब्ल्यूडी की वेबसाइट pwd.cg.nic.in के अनुसार, वर्ष 2024-25 के नॉन एग्रीमेंट के आंकड़ों में आखिरी कॉलम में हेंड रिसीप्ट वाउचर पेड का कॉलम है। इसमें प्रदेशभर से 42.15 करोड़ रुपए का काम किया गया है। इनमें फोटोकॉपी, पेपर बिल, स्टेशनरी जैसे कई छोटे-मोटे काम हैं।
Comments